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वार्षिक गतिविधिया (Annual Activities)
गोपाल मंदिर झाबुआ में वर्ष भर धार्मिक आयोजन का सिलसिला अनवरत शुरू रहता है। वर्ष के प्रारभ से वर्ष अंत तक क्रमशः व्रत त्यौहार तथा अन्य आयोजनो द्वारा मंदिर प्रांगण में भक्तो का भव्य जमावड़ा लगा रहता है… गोपाल मंदिर से जुड़े समस्त भक्त शायद संकल्पित है मंदिर से जुडी हर एक गतिविधि में अपनी प्रत्यक्ष उपस्थिति दर्ज़ करवाने में.… यही कारन है कि आयोजित हर एक धार्मिक आयोजन में हज़ारो कि संख्या में उपस्थि भक्त जो साक्षात् गुरु देव के दर्शन हेतु मंदिर प्रांगण में उपस्थित होते है मंदिर में वर्ष भर होने वाले धार्मिक आयोजन कुछ इस तरह है। ।
जनवरी :

फ़रवरी :
फ़रवरी माह में बावड़ी गोपाल मंदिर में वार्षिक महोत्सव का आयोजन।।।। झाबुआ भक्त मंडल और इसी तरह सम्पूर्ण भारत वर्ष में गुरु भक्तो द्वारा बावड़ी में स्वयं उपस्थित होकर महोत्सव में अपनी साक़िया भागदारी दर्ज़ कराइ जाती है..
अप्रैल :
वर्ष के अप्रेल माह में श्री राम जन्मोत्सव के साथ ही मंदिर प्रांगण में महाआरती का आयोजन एवं तत्पश्चात महाप्रसादी वितरित किया जाता है श्रद्धालुओं दवारा बड़ी संख्या में मंदिर प्रांगण में उपस्थित होकर आयोजन का लाभ लिया जाता है। ।
मई :

जुलाई :
जुलाई माह में गोपाल मंदिर प्रांगण में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन रखा जाता है। . आयोजन में मंदिर प्रांगण में हज़ारो भक्तो का जमावड़ा लगा रहता है। प्रातः ८ से १० बजे तक गुरु पूजन तत्पश्चात भजन एवं फिर महा आरती का आयोजन , व फिर भंडारे का आयोजन किया जाता है वार्षिक उत्सव कि तरह ही गुरु पूर्णिमा आयजन भी उसी भव्य रूप में गोपाल मंदिर प्रांगण में मनाया जाता है। ।/// भक्तो कि प्रगान आस्था और श्रद्धा का यह वृहद आयोजन न सिर्फ गोपाल मंदिर अपितु सम्पूर्ण शहर के लिए एक अत्यंत धर्म मई माहोल निर्मित करता दिखाई पड़ता है।
सितम्बर :

अक्टूबर :
अक्टूबर माह में परम पूज्य बड़े बापजी जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दिन भी मंदिर प्रांगण में भक्तो कि अपर शरधा और भक्ति के चलते विभिन धार्मिक आयोजन लिए जाते है जिनमे भजन संध्या , महा आरती आदि है भक्तो द्वारा एक दिन पूर्व मंदिर प्रांगण में आकर सभी धार्मिक गतिविधियो का लाभ लिया जाता है। ।
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पुष्पांजलि आरती
पुष्पांजलि

पुष्पांजलि अरपिये सहुशीश नामी ।।
भक्ति वडे खुश थतां सहुशास्त्र बोले ।
सॉचा उरे प्रगटता सहु वेद बोले।।1।।
मारा थकी नथी थती व्याकुल भक्ति।
के आपना सहु गणो नथी एवी युक्ति।।
ज्यां त्यां निभाव करी सो मुज ताप कापो ।
लावी कृपा मुज शिरे वर हस्त स्थापो ।।2।।
नातो विवेक प्रगटयो मम उर स्वामी।
ना षांति ने उपरति तणि झांखी जाणी।।
ना अंतरे तम तणाज जपाय जापो ।
लावी कृपा मुज शिरे वर हस्त स्थापो।।3।।
ना कोई दि तम परे बहु प्रेम आव्यो।
रोमांच नैत्र जल थी नथी मे भिजाव्या।।
जीवात्म भाव हरी सौ मुज ताप कापो।
लावी कृपा मुज शिरे वर हस्त स्थापो।।4।।
सर्वात्मभाव न धर्यो प्रभु ने रिझावा।
ने विषरूप विषयो थकी ना लाजया।।
ना पात्र मात्र विनती सुणी सुख आपो।
लावी कृपा मुज शिरे वरहस्मत स्थापो।।5।।
श्रद्धा तणुं बल नथी हजी काईं मारूं।
ना अंतरे धीरज नुं षुभ चिह्म धारूं।।
जाणंु तमारूं शुभ नाम निज शरण आपो।
लावी कृपा मुज शिरे वरहस्त स्थापो ।।6।।
निष्काम कर्म करवा थकी श्रेय थाषे।
पापो बंधा पलक मां बळी भस्म थाशे ।।
मारा उरे सतत् एज सुबुद्धि आपो।
लावी कृपा मुज शिरे वरहस्त स्थापो।।7।।
रेरे ! गुरू हजी नथी तमने पिछाण्या।
हजुए मुमुक्ष पद मां नथी नाथ आण्यां।।
शुं वर्णवुं मम उरे जीव नो कळापो ।
लावी कृपा मुज शिरे वरहस्त स्थापो।।8।।
आ विश्व ना अणुं अणुं महिं आप पोते।
ने आप एक अखिलेष महत्स्वरूपे।।
ए ज्ञानने मम उरे दृढता थी स्थापो।
लावी कृपा मुज शिरे वरहस्त स्थापो।।9।।
! देवाधिदेव ! सर्वेश्वर ! विश्वस्वामी !
।। पुश्पांजलि अरपिये सहुशीश नामी।।
।। सदगुरू देव की जय।।
। । अखंडानंद की जय। हरि गुरू संत की जय।।
।। जय जय सीताराम।।
।। नमः पार्वतीपते हर हर हर महादेव।।
प्रातः कालीन आरती
! प्रातः कालीन आरती !
जय श्री राम गुरू तम जय परिब्रह्म गुरू
जय परिब्रह्म गुरू तम जय परिब्रह्म गुरू
जगपालन कर्ता विभु व्यापक छो स्वामी पभु व्यापक छो स्वामी।
अजब कृति रहो अलगा अजब कृति रहो अलगा कामी निश्कामी।। जय ।।1।।
अम बालक नी विनती अंतर मा धरजो प्रभु अंतर मा धरजो ।
आप स्वरूप ओळखावी आप स्वरूप ओलळावी ताप त्रिविध हरजो।। जय ।।2।।
जप तप संयम साधन योग विदिन जांणु प्रभु योग विदिन जांणु ।
सहु थकी भक्ति मोटी सहु थकी भक्ति मोटी अनुभवे परमाण्युं।। जय ।।3।।
सुर सनकादिक षेश ध्यान तमारूं धरे प्रभु ध्यान तमारू धरे ।
भक्ति थकी भुधर जी, भक्ति थकी भुधर जी भक्ताधीन रहे।। जय ।।4।।
अविनाषी नी आरती भव मां थी तारे प्रभु भय मांथी तारे।
भव दुखमांथी उगाारी भव दुख मांथी उगारी लावे सुख आरे।। जय ।।5।।
श्लोक पुष्पांजलि
कर्पुर गौरं करूणावतांर संसारसारं भुजगेंद्रहारम्।
सदावसंतम् हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।1।।
मंगलम् भगवानविश्णु मंगलं गरूडध्वजः।
मंगलम् पंुडरीकाक्षः मंगलायतनो हरिः।।2।।
सर्वमंगलमांगल्ये षिवेसर्वार्थसाधिके ।
षरण्येन्न्यंबके गौरि ! नारायणि नमोस्तुते।।3।।
ब्रह्मानंन्दं परम सुखदं केवलं ज्ञान मूर्तिम
द्वदांतीतं गगन सदृष तत्वमस्यादि लक्ष्यं। एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधी साक्षिभूतम्।
भावातीतं त्रिगुण रहितं सदगुरू तं नमामि।।4।।
गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विश्णु गुरूर्देवो महेष्वरः।
गुरूरेव परमात्मानम् भव संसार तारकम्।।5।।
ध्यान मुलं सदगुरोर्मुतिः पुजामुलं सदगुरूः पदम्।
मंत्रमुलं सदगुरूर्वाक्यं मोक्षमुलं,सदगुरूः कृपा।।6।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बंधुष्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वं ममदेव देव।।7।।
असित गिरी समं स्यात् कज्ज्लं सिंधु पात्रे,सुरूतरूवर षाखा लेखनी पत्र मुर्वी।
लिखित यदि गृहीत्वा षारदा सर्वकालम्,तदपि तव गुणानामीष पारं न याति।ं।8।।
मुकं करोति वाचालं पंगु लड्घयते गिरिम्।
यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्द माधवम्।।9।।
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सी डी विमोचन 2010
सी डी विमोचन 2010
- प्रियतम प्रभु करिये वंदना
- आवो मारा राम रे
- गुरु पूरण दातार हमारे
- सद्गुरु तारो जयकार
- श्रीराम माँ दृढ़ प्रतिज्ञ थता
- तन्मय तन्मय थाओ रे
- थारा मंदिर कैसे आउ रे सावरिया
- तुम्ही मेरे राम हो
- ॐ गुरु जाप
सी डी विमोचन 2011 (Coming Soon...)

1. गुरु ॐ वंदना
2. गुरु मूर्ते सुरते धारी
3. जो राम ह्रदय में राखे छे
4. मोहे लागि लगन गुरु चरणनन की
5. लगी मोहे राम खुमारी हो
6. हेरि में तो प्रेम दीवानी
7. सहज समाधी भली
8.सब सुखी संसार हो
9. गुरु ॐ जाप
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विशेष :- सभी भजन पार्श्व भजन गायको के स्वर में है
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- मंगल मंदिर खोलो दयामय
- मंदिर थारू
- भक्ति करता छूटे मारा प्राण
- अखिल ब्रह्माण्ड मा एक तू श्री हरी
- ओ ईश्वर
- हरिने भजता हरी कोई ने
- अटलो संदेशो मारा गुरूजी ने कहजो
- दीनना दुःख हरन
- मारी हुंडी स्वीकारो
- प्रभु मोरे अवगुण
- समय मारो सधे
- मारी नाड़ तमारे हाथे
- ओ करुणा ना कर्ण
- गुरु की महिमा
- जुनु तो थयु
- मुखड़ा ने माये
- तू दयाल दिन
- वैष्णव जान तू तैने कहियेजे
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